केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड के विषय में
केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यबी), जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार का एक अधीनस्थ कार्यालय है । इस अग्रणी राष्ट्रीय अभिकरण को देश के भूजल संसाधनों के प्रबन्धन, अन्वेषण, मानीटरिंग, आकलन, संवर्धन एवं विनियमन हेतु वैज्ञानिक संभरण उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया है । वर्ष 1970 में कृषि मंत्रालय के तहत समन्वेषी नलकूप संगठन को पुन:नामित कर केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड की स्थापना की गई थी । वर्ष 1972 के दौरान इसका आमेलन भूविज्ञान सर्वेक्षण के भूजल स्कंध के साथ कर दिया गया था ।
केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड एक बहुसंकाय वैज्ञानिक संगठन है जिसमें भूजलवैज्ञानिक, भूभौतिकविद्, रसायनज्ञ, जलवैज्ञानिक, जलमौसमवैज्ञानिक तथा अभियंता कार्यरत हैं । इसका मुख्यालय भूजल भवन, एनएच.4 फरीदाबाद में स्थित है । इस संगठन के प्रमुख के रूप में इसके अध्यक्ष हैं तथा इसके चार मुख्य स्कंध हैं; नामत: (i) संधारणीय प्रबन्धन एवं संपर्क (एसएमएल), (ii) सर्वेक्षण, आकलन एवं मानीटरिंग (एसएएम), (iii) समन्वेषी वेधन एवं सामग्री प्रबन्धन (ईडी एंड एमएम), (iv) प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टी एंड टीटी) । प्रत्येक स्कंध के प्रमुख के रूप में सदस्य हैं । बोर्ड के प्रशासनिक एवं वित्तीय मामलों की देखरेख क्रमश: निदेशक (प्रशा.) एवं वित्त और लेखाधिकारी (एफएओ) करते हैं । बोर्ड के 18 क्षेत्रीय कार्यालय हैं; जिसके प्रमुख के रूप में क्षेत्रीय निदेशक हैं तथा साथ ही विभिन्न फील्ड कार्यकलापों के समर्थन के लिए 17 अभियांत्रिक प्रभाग और 11 राज्य एकक कार्यालय भी हैं । राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमिजल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आरजीएनजीटी एंड आरआई) जो बोर्ड की क्षमता निर्माण गतिविधियों का समन्वय करता है वर्तमान में सीजीडब्ल्यूबी , मुख्यालय फरीदाबाद में सक्रिय है । पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के तहत गठित केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) देश में भूजल विकास के विनियमन संबंधी विभिन्न गतिविधियों की देखरेख करता है ।
केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा किए जा रहे मुख्य क्रियाकलापों में बड़े व्यास वाले खुले कुओं तथा उद्देश्य-आधारित निर्मित बोर/टयूबवेल (पीजोमीटर) सहित भूजल प्रेक्षण कुओं के नेटवर्क की सहायता से वृहत-स्तरीय भूजल प्रबंधन अध्ययन, समन्वेषी वेधन कार्यक्रम, भूजल स्तर एवं भूजल गुणवत्ता की मानीटरिंग, पुनर्भरण में संवर्धन हेतु कृत्रिम पुनर्भरण एवं वर्षा जल संचयन संबंधी प्रदर्शनात्मक स्कीम का कार्यान्वयन शामिल है । बोर्ड द्वारा संबंधित राज्य सरकारी अभिकरणों के साथ संयुक्त रूप से देश में पुनर्भरणीय भूजल संसाधन का आवधिक आकलन किया जाता है । इन गतिविधियों के अनुपूरक के रूप के भूभौतिकीय अध्ययन, दूर संवेदी तथा जीआईएस अध्ययन तथा भूजल माडलिंग अध्ययन भी किए जा रहे हैं । बोर्ड भूजल में कमी, समुद्री जल अन्त: प्रवेश , भूजल संदूषण, सतही एवं भूजल का संयुक्त उपयोग, जल संतुलन आदि भूजल संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विशिष्ट अध्ययन भी करता है । यह अपने कार्मिकों के साथ-साथ भूजल के क्षेत्र मे संलग्न केन्द्र/राज्य सरकार के विभिन्न संगठनों के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण गतिविधियॉं आयोजित करने के साथ-साथ जल संरक्षण और विवेकपूर्ण भूजल प्रबन्धन की महत्ता पर जागरूकता अभियान भी आयोजित करता है । सीजीडब्ल्यूबी द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों एवं उत्सर्जित आंकड़े दावाधारकों द्वारा जल संसाधन आयोजना की दिशा में वैज्ञानिक आधार उपलब्ध करते हैं । भूजल संसाधनों की आयोजना एवं प्रबन्धन पर राज्यों एवं अन्य प्रयोक्ता अभिकरणों को सुझाव देने के अतिरिक्त केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड विभिन्न दावाधारकों को वैज्ञानिक भूजल अन्वेषण, विकास एवं प्रबन्धन की दिशा में तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध कराता है ।
बोर्ड विभिन्न अनुसंधानों के माध्यम से उत्सर्जित आंकड़ो के आधार पर नियमित रूप से वैज्ञानिक रिपोर्ट का प्रकाशन करता है तथा दावाधारकों के मध्य इसका प्रचार-प्रसार करता है । इनमें भूजल प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओ पर राज्य एवं जिला भूजलवैज्ञानिक रिपोर्ट, भूजल वार्षिकी तथा एटलस, भूजल प्रयोक्ता मानचित्र तथा निर्देशिका/मैनुअल/विवरणिका आदि शामिल है ।
केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) का गठन पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 की धारा 3 उपधारा (3) के तहत देश में भूजल विकास एवं प्रबन्धन के विनियमन एवं नियन्त्रण के उद्देश्य से की गई थी । भूजल संसाधनों की दीर्घावधि सम्पोषण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्राधिकरण भूजल विकास के विनियमन संबंधी विभिन्न गतिविधियॉं चला रहा है ।